चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है…” हौंसलें बढ़ाने का काम करने वाली राहत इंदौरी की मोटिवेशनल शायरी कुछ इस प्रकार है – हजारों लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है। “रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं आख़िर चांद भी अकेला रहता हैं सितारों के बीच। https://youtu.be/Lug0ffByUck