समाज में स्त्रियों की स्थिति अच्छी थी। इस समय समाज में ‘विधवा विवाह’, ‘नियोग प्रथा’ तथा ‘पुनर्विवाह’ का प्रचलन था लेकिन ‘पर्दा प्रथा’, ‘बाल-विवाह’ तथा ‘सती-प्रथा’ प्रचलित नहीं थी। कालान्तर में जैन धर्म दो सम्प्रदायों श्वेताम्बर एवं दिगम्बर में बँट गया। कठिन नहीं है, लेकिन आपको सही प्रकार के वाहन https://daltonagnoe.atualblog.com/43029361/5-tips-about-business-ideas-in-hindi-you-can-use-today